अरविंद सुब्रह्मण्यम ने मुख्य आर्थिक सलाहकार पद से विदा होते हुए जो कहा उससे हमारी शब्दावली में एक नया जुमला आ गया ‘कलंकित पूंजीवाद’। इससे उनका आशय यह था कि मुक्त बाजारों को अभी भी भारत में सुविधाजनक जगह नहीं मिली है। समस्या और भी गहरी है। कई भारतीयों ने बिना सोचे-समझे पश्चिम में उपजी सनक की तर्ज पर आर्थिक वृद्धि पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं।
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